बेरोजगारी किसे कहते है | बेरोजगारी की परिभाषा एवं प्रकार
भारत एक विकासशील देश है| विकासशील होने से तात्पर्य है की यह विकास की राह में अग्रसर है| विकासशील देशों के साथ-साथ विकसित देशो में भी बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या है| आज हम आपको आपको यही बताने जा रहे है कि “बेरोजगारी किसे कहते है” और “बेरोजगरी की परिभाषा एवं प्रकार” क्या है?
यहाँ पर हम यह clear कर दें कि विकसित देशो में भी बेरोजगारी की समस्या है| बस वहां यह समस्या विकासशील देशो की तुलना में कम होती है| बढ़ती हुई मुद्रास्फीति के समय बेरोजगारी काफी घातक साबित होती है|
अब मैं आपको बताता हूँ कि Berojgari kya hai?
Contents
- 1 बेरोजगारी किसे कहते है | बेरोजगारी की परिभाषा
- 2 भारत में बेरोजगारी
- 3 बेरोज़गारी के प्रकार
- 3.1 संरचनात्मक बेरोजगारी (structural unemployment)
- 3.2 अदृश्य बेरोजगारी से क्या आशय है? (disguised unemployment)
- 3.3 खुली बेरोजगारी (open unemployment)
- 3.4 घर्षणात्मक बेरोजगारी (frictional unemployment)
- 3.5 मौसमी बेरोजगारी (seasonal unemployment)
- 3.6 स्वैच्छिक बेरोजगारी (voluntary unemployment)
- 3.7 अनैच्छिक बेरोजगारी (involuntary unemployment)
- 3.8 अल्परोजगार (under unemployment)
- 4 भारत में बेरोजगारी के कारण
- 5 बेरोजगारी (Unemployment) – परिभाषा, अर्थ और प्रकार
- 6 बेरोजगारी का अर्थ (Meaning of Unemployment)
- 7 बेरोजगारी की परिभाषाएँ (Definition of Unemployment)
- 8 बेरोजगारी के प्रकार (Types of Unemployment)
- 9 स्वाभाविक बेरोजगारी (Natural Unemployment)
- 10 अस्वाभाविक बेरोजगारी (Unnatural Unemployment)
- 11 बेरोजगारी के कारण (Causes of Unemployment)
- 12 बेरोजगारी की समस्या का समाधान (Solutions to Unemployment)
- 13 निष्कर्ष
बेरोजगारी किसे कहते है | बेरोजगारी की परिभाषा
बेरोजगारी का आशय जनता की उस हालत से है जिसमे वह वर्तमान labour rate में काम करना तो चाहते है लेकिन उन्हें काम ही नहीं मिलता है|
जब कोई शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ पुरुष या महिला काम करना चाहती है पर उसके अनुरूप काम उसे नहीं मिल पा रहा है तो उसे बेरोजगार कहा जाता है|
बेरोजगारी को ठीक ढंग से समझने के लिए आपको श्रम बल (labourforce) और कार्य बल (workforce) को समझना चाहिए|
- श्रम बल (labourforce)– किसी देश में 15 से 65 वर्ष की आयु के वो लोग जो काम के इच्छुक है उस देश की labourforce कहलाती है|
- कार्य बल (workforce)– labour force में से जिन लोगों को कार्य मिल जाता है उन्हें उस देश का workforce कहते हैं|
अतः बेरोज़गारी = श्रमबल-कार्यबल
भारत में बेरोजगारी
भारत में शहरों की तुलना में गावों में बेरोजगारी की दर अधिक है| इसी क्रम में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बेरोजगारी की दर अधिक है|
भारत में प्रमुखतः निम्न तीन तरह की बेरोजगारी पाई जाती है-
- मौसमी बेरोजगारी
- अदृश्य बेरोजगारी
- अल्परोजगार
बेरोज़गारी के प्रकार
बेरोजगारी कई प्रकार कई होती है-
- संरचनात्मक बेरोजगारी
- अदृश्य बेरोजगारी
- खुली बेरोजगारी
- मौसमी बेरोजगारी
- स्वैच्छिक बेरोजगारी
- अनैच्छिक बेरोजगारी
- अल्परोजगार
संरचनात्मक बेरोजगारी (structural unemployment)
यह बेरोज़गारी औद्योगिक जगत में संरचनात्मक परिवर्तन के कारण आती है| जब औद्योगिक इकाइयों में संकुचन या विस्तार होता है तब इस प्रकार की बेरोजगारी देखने को मिलती है| संरचनात्मक बेरोजगारी तब उत्पन्न होती है जब बहुत लम्बे समय तक उद्योगों में हानि होती है| जब देश का आर्थिक संरचनात्मक ढांचा पिछड़ा होता है तब उद्योगों के लिए skilled labour force की कमी हो जाती है| ऐसी अवस्था में structural umemployment उत्पन्न हो जाता है|
अदृश्य बेरोजगारी से क्या आशय है? (disguised unemployment)
इस प्रकार की बेरोजगारी में किसी कार्य में आवश्यकता से अधिक work force को लगा दिया जाता है| जो अतिरिक्त लोग कार्य के लगे होते है उनकी सामूहिक उत्पादकता (productivity) zero हो जाती है| अर्थात उनके न होने से भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा| इसे ही अदृश्य या प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते है|
सामान्यतः प्रच्छन्न बेरोज़गारी की अधिकता कृषि में पाई जाता है|
खुली बेरोजगारी (open unemployment)
जब श्रमिक काम नही करना चाहते है तब इससे खुली बेरोज़गारी उत्पन्न होती जाती है|
घर्षणात्मक बेरोजगारी (frictional unemployment)
बाज़ार की दशाओं में परिवर्तन होने से उत्पन्न बेरोज़गारी को घर्षणात्मक बेरोजगारी कहते है|
- जब कोई व्यक्ति किसी नए रोज़गार की तलाश में होता है और वह अपना मौजूदा काम छोड़ देता है
- यदि किसी उद्योग की demand किसी कारन से काम हो जाती है तो यह घर्षणात्मक बेरोज़गारी का उदाहरण है|
यह बेरोजगारी लम्बे समय तक नहीं रहती है| कुछ ही समय में यह ख़त्म हो जाती है| ज्यादातर ये बेरोजगारी विकसित देशों में पाई जाती है|
मौसमी बेरोजगारी (seasonal unemployment)
ये ऐसी बेरोजगारी है जो किसी विशेष मौसम या महीने में हर साल उत्पन्न हो जाती है| कुछ उद्योगों में जो demand होती है वह पूरे साल एक जैसी नहीं होती है| जैसे कृषि में कोई किसान और कृषि से जुड़े अन्य मजदूर फसलों की बुवाई और कटाई के बीच ज्यादातर समय खाली ही रहते है| ऐसी टेक्सटाइल मिल जो केवल सर्दी के कपड़े बनती है| वह साल के ज्यादातर समय में out of demand ही रहती है|
ठीक इसी प्रकार छाता बनाने वाले मजदूर केवल दो या तीन महीनों के लिए ही डिमांड में रहते है| इस प्रकार की मौसमी बेरोजगारी भारत में काफी आम है|
स्वैच्छिक बेरोजगारी (voluntary unemployment)
यह विशेष प्रकार की बेरोजगारी है जिसमे workforce का कुछ अंश या तो काम में दिलचस्पी नहीं रखता है या फिर जो वर्तमान में प्रचलित labour rate है उससे अधिक की अपेक्षा में काम नहीं करता है| ऐसी अवस्था में काम तो उपलब्ध होता है पर श्रमिक अपनी मर्जी से काम नहीं करता है| ऐसी बेरोजगारी को ऐच्छिक बेरोजगारी कहा जाता है|
अनैच्छिक बेरोजगारी (involuntary unemployment)
जब श्रमिक वर्तमान में प्रचलित labour rate में काम करने को तैयार हो पर उन्हें काम न मिले तब ऐसी बेरोजगारी को अनैच्छिक बेरोजगारी कहा जाता है| देश रोजगार के conventional तरीकों की कमी क कारण ऐसा होता है|
अल्परोजगार (under unemployment)
यह एक आम स्थिति है जब श्रमिकों को उनकी जरुरत या क्षमता से काफी कम काम मिलता है| इसे अल्प रोजगार कहते है| उदाहरण के लिए मान लो कि कोई व्यक्ति जो ग्रेजुएट है वो ऐसी नौकरी कर रहा है जिसके लिए योग्यता सिर्फ 12 पास है|
भारत में बेरोजगारी के कारण
भारत में बेरोजगारी के अनेक कारण है| इनमे से कुछ कारण निम्न है-
- औसत विकास दर
- उच्च जनसँख्या वृद्धि दर
- श्रम प्रधान तकनीक की जगह पूंजी प्रधान तकनीक को बढ़ावा
- प्राकृतिक संसाधनों के वितरण में असमानता
- लघु एवं कुटीर उद्योगों का पर्याप्त विकसित न होना
- व्यवसायिक शिक्षा को महत्त्व न दिया जाना
prachan berojgari kya hai
इस प्रकार की बेरोजगारी में किसी कार्य में आवश्यकता से अधिक work force को लगा दिया जाता है| जो अतिरिक्त लोग कार्य के लगे होते है उनकी सामूहिक उत्पादकता (productivity) zero हो जाती है| अर्थात उनके न होने से भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा|
रोजगार किसे कहते हैं
कोई व्यक्ति जीवन के विभिन्न समयांतराल में जिस क्षेत्र में काम करता है या जो काम करता है, उसी को उसकी आजीविका या रोजगार कहते हैं।
बेरोजगारी (Unemployment) – परिभाषा, अर्थ और प्रकार
बेरोजगारी का अर्थ (Meaning of Unemployment)
बेरोजगारी (Unemployment) एक ऐसी आर्थिक एवं सामाजिक समस्या है, जिसमें कोई व्यक्ति काम करने की इच्छा और योग्यता रखने के बावजूद, उचित रोजगार पाने में असमर्थ रहता है।
सरल शब्दों में, जब कोई व्यक्ति काम करने की इच्छा, योग्यता और जरूरत रखने के बावजूद रोजगार प्राप्त नहीं कर पाता, तो उसे बेरोजगार कहा जाता है।
बेरोजगारी की परिभाषाएँ (Definition of Unemployment)
पिगू (Pigou):
“जब कोई व्यक्ति उचित मजदूरी पर काम करने के लिए तैयार हो, फिर भी उसे काम न मिले, तो यह स्थिति बेरोजगारी कहलाती है।”
भारतीय आर्थिक सर्वेक्षण:
“बेरोजगारी वह स्थिति है, जब कार्य करने की क्षमता रखने वाले लोग कार्य प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं।”
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO):
“जो व्यक्ति कार्य करने के लिए उपलब्ध हो, लेकिन उसे उसकी क्षमताओं के अनुसार रोजगार न मिले, तो इसे बेरोजगारी कहा जाता है।”
बेरोजगारी के प्रकार (Types of Unemployment)
बेरोजगारी को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है:
स्वाभाविक बेरोजगारी (Natural Unemployment)
अस्वाभाविक बेरोजगारी (Unnatural Unemployment)
स्वाभाविक बेरोजगारी (Natural Unemployment)
मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment) – जब किसी व्यक्ति को सिर्फ एक निश्चित मौसम में काम मिलता है, जैसे खेती, पर्यटन, चीनी और कपास उद्योग।
स्वेच्छिक बेरोजगारी (Voluntary Unemployment) – जब व्यक्ति खुद ही काम न करने का फैसला लेता है।
अस्वाभाविक बेरोजगारी (Unnatural Unemployment)
प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised Unemployment) – जब एक कार्य को अधिक लोग कर रहे होते हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति से उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ता, जैसे कृषि क्षेत्र में अधिक मजदूर।
संरचनात्मक बेरोजगारी (Structural Unemployment) – जब अर्थव्यवस्था में उत्पादन प्रणाली में बदलाव के कारण रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं।
चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment) – जब आर्थिक मंदी के कारण रोजगार में कमी आती है।
प्रौद्योगिकी आधारित बेरोजगारी (Technological Unemployment) – जब नई मशीनों और तकनीक के कारण मानव श्रम की आवश्यकता कम हो जाती है।
शिक्षित बेरोजगारी (Educated Unemployment) – जब शिक्षित लोग अपनी योग्यता के अनुसार रोजगार नहीं पाते।
बेरोजगारी के कारण (Causes of Unemployment)
जनसंख्या वृद्धि – बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं।
शिक्षा प्रणाली की खामियाँ – व्यावसायिक शिक्षा की कमी।
औद्योगीकरण की धीमी गति – नए उद्योगों की कमी से रोजगार के अवसर नहीं बढ़ते।
कृषि पर अधिक निर्भरता – अधिकांश लोग कृषि में लगे हैं, लेकिन यह सीमित रोजगार देता है।
आर्थिक मंदी – जब बाजार में मांग घटती है, तो उद्योगों में काम कम हो जाता है।
बेरोजगारी की समस्या का समाधान (Solutions to Unemployment)
व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास
नए उद्योगों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा
सरकारी रोजगार योजनाएँ (MGNREGA, PM Kaushal Vikas Yojana)
कृषि के साथ-साथ गैर-कृषि क्षेत्रों का विकास
मुद्रा योजना और स्वरोजगार को प्रोत्साहन
निष्कर्ष
बेरोजगारी एक गंभीर आर्थिक समस्या है, जो किसी भी देश के विकास को बाधित कर सकती है। इसे शिक्षा सुधार, उद्योगों के विस्तार, और सरकारी योजनाओं के माध्यम से कम किया जा सकता है। भारत सरकार कौशल विकास योजनाएँ और रोजगार नीतियाँ लागू कर रही है, जिससे बेरोजगारी की दर को कम किया जा सके।