आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 क्या है: UPSC
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 या The Essential Commodities Act 1955 एक ऐसा कानून है जो दुकानदारों को जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी तथा कालाबाजारी करने से रोकता है| अभी इस अधिनियम के तहत निर्देश जारी करते हुए भारत सरकार ने सैनिटाइजर और मास्क को आवश्यक वस्तु की लिस्ट में शामिल कर लिया है| जिससे इनकी कालाबाजारी और MRP से अधिक दाम लेने पर रोक लगेगी|
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Essential Commodities Act 1955 kya hai?
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में भारत की संसद ने पारित किया था। तब से सरकार इस कानून की मदद से ‘आवश्यक वस्तुओं‘ का उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करती है ताकि ये चीजें उपभोक्ताओं को मुनासिब दाम पर उपलब्ध हों।
सरकार अगर किसी चीज को ‘आवश्यक वस्तु’ घोषित कर देती है तो सरकार के पास अधिकार आ जाता है कि वह उस पैकेज्ड प्रॉडक्ट का एमआरपी तय कर दे। उस मूल्य से अधिक दाम पर चीजों को बेचने पर सजा हो सकती है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के उद्येश्य
दवाऐं, खाने-पीने की चीजें, पेट्रोलियम के उत्पाद जनसामान्य की जिंदगी के लिए कुछ जरुरी चीजें हैं। यदि कालाबाजारी या जमाखोरी के कारण इन चीजों की आपूर्ति प्रभावित होती है तो आम आदमी का जीवन प्रभावित होगा।
जो चीजें ऐसी हैं जिसके बगैर इंसान का ज्यादा दिनों तक जिंदा रहना मुश्किल है या फिर इंसान के लिए बहुत ही जरूरी हैं उनको आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु की सूची में डाल दिया जाता है। इसका एक ही उद्देश्य होता है कि लोगों को जरूरी चीजें उचित दाम पर और आसानी से उपलब्ध हो जाए।
इस अधिनियम के तहत सरकार आवश्यक वस्तुओं के निर्माताओं से बातचीत करके इन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने और आपूर्ति को सुचारु रूप से चलाने के लिए कह सकती है|
आवश्यक वस्तुएं (Essential Commodities)
- पेट्रोलियम और इसके उत्पाद जिनमें पेट्रोल, डीजल, नेफ्था और सोल्वेंट्स वगैरा शामिल हैं।
- खाने की चीजें जैसे खाने का तेल और बीज, वनस्पति, दाल, गन्ना और इसके उत्पाद जैसे गुड़, चीनी, चावल और गेहूं,
- टेक्सटाइल्स,
- जरूरी ड्रग्स,
- फर्टिलाइजर्स।
आवश्यक वस्तु अधिनियम के लाभ
सजा का प्रावधान
Essential Commodities Act Section 7(1) ए (1) के तहत अगर सही से रेकॉर्ड नहीं रखा गया, रिटर्न फाइल आदि करने में कानून का उल्लंघन किया तो इसे जुर्म माना जाएगा। इसके लिए तीन महीने से लेकर एक साल तक की सजा का प्रावधान है।