लालची नौकर Moral Stories in Hindi Language with pictures
Moral Stories in hindi language : यहाँ मैं आपके साथ साझा कर रहा हूँ Moral Stories in hindi language जो वास्तव में अद्भुत और प्रेरणा दायी साबित होगी Moral Stories in hindi language आपको बहुत सी चीजें सिखाएगा और आपको एक शानदार अनुभव प्रदान करेगा। आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ यह साझा कर सकते हैं और ये Moral stories आपके बच्चों या छोटे भाई-बहनों के लिए बहुत उपयोगी होंगी।
आपने निजी जीवन में हर मुकाम पे सफल होने के लिए हमारी दी हुई यह Moral Stories in hindi से आप शिक्षा पा सकते है और अपना ज्ञान और मोटीवेट होके अच्छे मुकाम पे पोहच सकते है जो की आपके लिए प्रेरणा दायी होगा |
- लालची नौकर
- टोपीवाला और बंदर
- राक्षस की दवाई
- बिना पूंछ वाला बंदर
लालची नौकर
एक छोटे से गांव की कहानी है एक गांव में शांताराम और शांताबाई नाम के दो लोग रहते थे उनको एक बेटा था पर नौकरी शहर में होने के कारण वह अपने मां-बाप के पास नहीं रह सकता था 1 दिन ‘बेटा रमेश बोला मां पिताजी तुम भी मेरे साथ शहर चलो ना हम वही साथ रहेंगे इस पर शांताराम बोले नहीं बेटा हम नहीं रहेंगे मुझे यह खूबसूरत गांव छोड़कर कहीं नहीं जाना यही हमारे सब रिश्तेदार हैं और यही हम रहेंगे इस पर रमेश बोला पर आप मेरे साथ चलते तो अच्छा होता बेटा तुम हमारी फिक्र मत करो हम बड़े आराम से रह लेंगे और हमारे साथ हमारा नौकर रामू भी है जो हमारी देखभाल करेगा तुम अब सिर्फ अपनी नौकरी के बारे में सोचो और खुद का ख्याल रखना हमारा आशीर्वाद तुम्हारे साथ सदैव रहेगा |
Moral Stories in Hindi Language for Children
यह सुनते ही रमेश अपने मां बाप का आशीर्वाद लेकर शहर की ओर चला गया अब घर में शांताराम और शांताबाई अकेले रहते थे और साथ में उनका नौकर रामू। रामू घर का सारा काम करता था जैसे साफ-सफाई पानी भरना खाना पकाना इत्यादि रामू कई वर्षों से उनके पास काम कर रहा था इसलिए शांताराम और शांताबाई उस पर पूरा विश्वास करते थे रामू दोनों की बड़ी सेवा करता था और फिर अपने घर चला जाता था घर जाने के बाद रामू की पत्नी के बोली आजकल तुम्हें आने में बड़ी देर हो रही है क्या करूं भागवान आजकल घर का काम पूरा मुझे ही करना पड़ रहा है उनका बेटा नौकरी के लिए शहर चला गया अब दोनों बेचारे अकेले हैं।
इस पर रामू की पत्नी छठ से बोली सच में ? जी हां सच में अकेले काम करना पड रहा है रामू की पत्नी आगे बोली अगर वह अकेले हैं तो कुछ अच्छे-अच्छे पकवान बनवाकर लाओ उन्हें क्या पता चलेगा बहुत दिन हो गए अच्छा खाना खाए इस पर रामू बोला ठीक है भगवत कल जरूर लाता हूं
अगले दिन रामू काम पर गया घर का सारा काम किया और अंत में अपनी पत्नी के लिए चोरी छुपे अच्छे व्यंजन बनाए और घर ले आया फिर यह सिलसिला चलता रहा देखते ही देखते रामू की पत्नी की लालच बढ़ती गई उसने खाने के अलावा घर की चीजें चुराने का आश्वासन दिया फिर 1 दिन रामू ने चुपके से कुछ चीजे चुराइ और दूसरे दिन लूटा चुराया और तीसरे दिन कोई और बर्तन और यह सिलसिला यूं ही चलता रहा
1 दिन शांताराम रोज के काम से घर वापस आए और अपना लौटा ढूंढने लगे रामू रामू ने जवाब दिया मालिक यहीं कहीं होगा शांताराम ने बहुत ढूंढा उन्हें लौटा कहीं नहीं मिला अगले दिन शांताबाई चम्मच ढूंढ रही थी लेकिन उसे भी वह नहीं मिला तब शांताबाई ने पूछा जरूर कुछ गड़बड़ है यह सारी चीजें अपने आप कहां जा सकती हैं शांताबाई शांताराम से कहा अजी सुनते हो हमारी घर की एक एक चीज गायब हो रही है जरूर कुछ गड़बड़ है इस पर शांताराम बोले हां भागवान मेरा लोटा भी कितने दिनों से गायब है
जरूर गड़बड़ है अगले दिन शांताराम बाहर जाकर 34 बिच्छू पकड़कर एक डब्बे में रख देना है और डब्बे को घर के अंदर ले आता है और रामू को देखकर कहता है रानू यह डब्बा मेरे इस में सोने के जेवर है कल डब्बे को बैंक ले जाकर जमा कर देना है आज के दिन संभालना पड़ेगा रामू ने वह डब्बा लिया और शांताराम के पलंग के नीचे रख दिया और अपना रोज का काम करने लगा लेकिन काम करते समय ध्यान सिर्फ उस डब्बे पर था जैसे ही दोपहर का खाना खाने के बाद शांताराम और शांताबाई सोने के लिए तैयार हुए लालची रामू उस डब्बे की ओर बढ़ा और उसे खोला तो उसमें से तीन बिच्छू बाहर आए यह देखकर रामू दौड़ने लगा और पकड़ा गया
Moral of the Story : लालच करना बुरी बला है लालच का रास्ता हमेशा बुराई की ओर जाता है
टोपीवाला और बंदर
एक दिन एक टोपी का का व्यापारी टोपिया बेचने दूर के शहर जा रहा था चलते चलते दोपहर हो गई वह बहुत थक चुका था एक बड़े से पेड़ के नीचे उसने अपनी टोकरी रखी और खाने का डब्बा निकालकर खाने के लिए बैठ गया थोड़ी ही देर बाद उसे हल्की-हल्की नींद आने लगी और वह आराम से पेड़ पर टेक लगा कर सो गया लेकिन उसे पता नहीं था कि पेड़ के ऊपर बहुत सारे बंदर है बंदरों ने उसकी टोकरी में रंग बिरंगी टोपियां देखी और उन टोपियों के साथ खेलने का सोचा एक-एक करके सब बंदर नीचे आ गए हर एक बंदर ने एक एक टोपी उठाई और फिर से पेड़ पर जाकर बैठ गए टोपी वाले की नींद खुली और उसने देखा कि टोपी की टोकरी खा ली थी वह बहुत डर गया उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि टोपीया गई किधर।
हे भगवान अब क्या करूं मेरी सब टोपिया किसने चुराई टोपिया गई कहा में अब क्या करू उसने जब पेड़ पर देखा तो वो चौक गया उसकी सारी टोपिया बंदरो के पास थी वो जोर से चीलाने लगा ताकि उसे वापस कर दे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ उल्टा बंदर उसकी नकल करने लगे तब उसे एक उपाय सूझा और उसने अपने दोनों हाथ उठाकर हिलने लगा तो बंदरों ने भी वही किया उसके बाद वो टोप्पीवाला कूदने लगा तू बन्दर भी उसके जैसे ही कूदने लगे फिर उसने अपनी टोपी उतार कर जमीन पर फेंक दी तो बंदरो ने भी टोपिया जमीं पर फेक दी और टोपी वाले ने सारी उठाकर अपनी टोकरी में भर ली और शहर की तरफ निकल पड़ा
बिना पूंछ वाला बन्दर
हरि स्वभाव का बहुत दयावान था वह जंगल के सारे रास्ते जानता था इसलिए मुखिया ने उसे भेजा था परंतु हरी बंदर को मारना नहीं चाहता था उन्हें वह बिना पूछकर बंदर एक पेड़ पर बैठा दिखा उन व्यक्तियों ने उसे तीर मार दिया और वहां से चले गए। फिर हरि ने मौका देखते ही चुपके से तीर लगे बंदर को उठाया और उसे अपने घर ले गया और हरी ने बंदर की मरहम पट्टी की और खूब देखभाल की फिर बंदर धीरे-धीरे सही होने लगा।
सिक्के पाकर बहुत खुश हुआ अब हरि को जब भी पैसे की जरूरत होती तो जंगल में बिना पूछे बंदर के पास जाता और पैसे ले आता और धीरे-धीरे हरी धनवान होने लगा एक बार गांव के मुखिया को यह बात पता चली तो मुखिया के मन में लालच आ गया और वह भी बंदर के पास सोने के सिक्के लेने पहुंचा जंगल में जाकर मुखिया ने बंदर से सिक्के मांगे तो बंदर ने कहा
थोड़ा आगे जाने पर मुखिया सोचने लगा मुझे सोना देने के बजाय मुझे केले क्यों दिए मुझे क्या मुर्ख समझता है और यह सोचकर उसने सारे केले फेंक दिए और घर चला गया घर जाकर उसने देखा तो बैग में २ केले रह गए थे तो उसने कहा अरे ये केले कहां रह गए चलो कोई बात नहीं मैं ही खा लेता हूं और फिर मुखिया खाने के लिए जैसे ही केले छीलता है की वो चौक जाता है क्योंकि केला अंदर से सोने का था अब बहुत पछताने लगा और बोलने लगा अरे मैंने क्या कर दिया इतने सारे सोने के किले फेंक दिए और फिर मुखिया केले लेने वापस गया
राक्षश की दवाइ
1 दिन की बात है जब राजू जंगल जाने को तैयार हुआ तो अचानक चकर आया और वह जमीन पर गिर गया उसके बेटे राजू ने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटाया राजू को अब लकवा मार गया था राजू अब बिस्तर से भी नहीं उठ पाता राजू ने बहुत सारे डॉक्टर और वैद्य को बुलाया और राजू का इलाज करवाया पर कुछ फायदा ना हुआ |
राक्षस जी क्या आपके पास वह जादुई जड़ी बूटी है क्या आप मुझे दे सकते हो मेरे पिताजी बहुत बीमार है इस पर राक्षस बोला हिम्मत की दाद देता हूं तुम अकेले ही मेरे पास आ गए तुमने मेरी 3 पहेलियों के जवाब दिए तो मैं तुम्हें जड़ी बूटियां दे दूंगा बोलो तैयार हो हां हां मैं तैयार हूं मेरे पिताजी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं राजू ने कहा तब राक्षस ने पहेली पहेली पूछी ‘ चींटी आगे दो चींटी , चींटी के पीछे दो चींटी’ बोलो कितनी चींटी राजू ने कहा ३ चींटी बहुत खूब चलो दूसरी पहेली मेने २० को काट दिया फिर भी मेने न कानून तोडा और खून किया बोलो ऐसा तो मेने क्या किया राजू ने सोचा और कहा नाख़ून काटे राक्षस हसने लगा और आखिरी पहेली पूछी ऐसी कोनसी चीज़ है जो ठंडा होने पर काली गर्म करने पर लाल और फेंकने पर सफ़ेद होजाती है राजू सोच में पड गया और बोला कोयला राक्षस हसने लगा और बोला बच्चे तूने मुझे खुश कर दिया ले ये जड़ीबूटुया और राजू ने घर जा कर जड़ीबूटुया अपने पिताजी को खिला दी और उसके पिताजी ठीक हो गये
Conclusion
तो दोस्तों ये थी Moral Stories in hindi language तो यह नैतिक कहानी दोस्तों आपको कैसी लगी, अगर आपको पसंद आयी हो तो दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करना ना भूलें और अगर आपका कोई सवाल है तो हमें कमेंट करके बता सकते हे |