Essay On New Education Policy 2025 in हिंदी | नई शिक्षा नीति 2025 क्या है?
नई शिक्षा नीति 2023: जुलाई 2023 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक शिक्षण के तरीके और विषयवस्तु तथा शिक्षा प्रणाली में आवश्यक बदलाव लाने के उद्देश्य से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2025 (National Education Policy 2025 in Hindi) को मंजूरी दी है।
समय के साथ शिक्षण का तरीका तथा विषयवस्तु में आवश्यक परिवर्तन लाना बहुत जरूरी है| हम उन्नीसवीं सदी में निर्धारित तरीकों से 21वीं सदी में छात्रों को नहीं पढ़ा सकते है| जरूरत है कि शिक्षण के तरीके और विषयवस्तु को आधुनिक तथा वैज्ञानिक बनाया जाए| जिससे कि छात्र समस्याओं के आधुनिक स्वरुप को जान सकें और उनके निवारण का तरीका ढूंढ सकें|
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National Education Policy 2025 in Hindi
भारत में आधुनिक एजुकेशन की नींव ब्रिटिशराज के वक़्त रखी गई थी| हालाँकि भारत में प्राचीन भारत से ही शिक्षा का बहुत महत्व था| वैदिक काल के ग्रंथों में गुरुकुलों का जिक्र है| जिनमे शास्त्र, विज्ञान, गणित, तथा युद्धकला आदि की शिक्षा दी जाती थी|
मध्यकालीन भारत में नालंदा तथा तक्षशिला जैसे विश्व स्तर के विश्वविद्यालय थे| जिनकों विदेशियों द्वारा नष्ट कर दिया गया था| इन विश्वविद्यालयों में भारत ही नहीं वरन दूर देशों जैसे चीन के छात्र भी शिक्षा ग्रहण करने आते थे|
यदि हम आधुनिक भारत की बात करें तो स्वतंत्र भारत में इससे पहले दो शिक्षा नीतियां 1968 और 1986 में लाई गई थीं। 1992 में शिक्षा नीति 1986 में थोड़ा संशोधन भी किया गया था|
- 1 मई को, PM नरेंद्र मोदी ने National Education Policy 2025 की समीक्षा की थी| NEP का ड्राफ्ट विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा तैयार किया गया था|
- इस पैनल का नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन ने किया था|
- नई शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य “भारत को ग्लोबल नॉलेज सुपरपावर” बनाना है।
- कैबिनेट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने की भी मंजूरी दे दी है।
नई शिक्षा नीति 2025 के प्रमुख बिंदु
चलिए अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बात करते है-
स्कूली शिक्षा में नई शिक्षा नीति का प्रभाव
- नई शिक्षा नीति के तहत अब अनिवार्य स्कूली शिक्षा 6-14 की आयु के स्थान पर 3-18 की आयु वर्ग के लिए निर्धारित कर दी गई है|
- NEP-2020 में मौजूदा 10+2 सिस्टम को 5+3+3+4 सिस्टम से बदल दिया जायेगा|
- इस नए सिस्टम में तीन साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।
- स्कूली शिक्षा का 15 और टीचर एजुकेशन का 11 साल पुराना पाठ्यक्रम बदलेगा| कस्तूरबा विद्यालय अब 12 वीं तक होंगे|
- पूरे देश में एक कॉमन सिलेबस के तहत पढ़ाई कराई जाएगी|
- नई शिक्षा नीति में कहा गया है की छात्रों को 6 वीं क्लास से ही कोडिंग भी सिखाई जाएगी|
- NEP ने सुझाव दिया है कि कक्षा 5 तक के छात्रों को यदि संभव हो तो उनकी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जाना चाहिए।
- 6 वीं कक्षा से स्कूलों में स्किल आधारित व्यावसायिक शिक्षा शुरू होगी, और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी।
- नई शिक्षा नीति के अनुसार अब छात्रों को साइंस, आर्ट्स या कॉमर्स स्ट्रीम में से किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं पड़ेगी| छात्र किसी भी स्ट्रीम से अपनी पसंद के विषयों का चयन कर सकते हैं।
- छात्रों के मूल्यांकन में AI का प्रयोग भी किया जायेगा|
- पढ़ाई लिखाई के अतिरिक्त म्यूजिक और स्पोर्ट्स जैसे विषयों को भी महत्व दिया जायेगा|
- कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाया जायेगा|
- सभी छात्रों को दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
उच्च शिक्षा में नई शिक्षा नीति का प्रभाव
- सिंगल रेगुलेटर: Higher Education Commission of India की स्थापना उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलेटर के रूप में की जाएगी|
- HECI चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को छोड़कर बाकि सभी उच्च शिक्षा को रेगुलेट करेगी|
- सार्वजनिक और निजी उच्च शिक्षा संस्थान एक ही मानदंड, और शैक्षणिक मानकों द्वारा शासित होंगे।
- मल्टी लेयर डिग्री:
- NEP के तहत, अंडरग्रेजुएट डिग्री या तो 3 या 4 साल की होगी, जिसमें इस अवधि के भीतर भी ड्रॉपआउट करने के लिए कई विकल्प होंगे।
- यदि किसी ने 1 साल के बाद कॉलेज ड्राप कर दिया तो उसे सर्टिफिकेट, 2 साल बाद ड्राप करने पे डिप्लोमा और 3 साल पूरा करने पे बैचलर्स डिग्री दी जाएगी|
- जो लोग नौकरी करना चाहते हैं वो 3 साल की डिग्री कर सकते है, और जिन्हे शोध कार्य करना है वो 4 साल की डिग्री के लिए जा सकते है|
- सरकार एक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की भी स्थापना करेगी।
- एम.फिल पाठ्यक्रम को बंद कर दिया जाएगा|
- नेशनल रिसर्च फाउंडेशन को एक सर्वोच्च निकाय के रूप में बनाया जाएगा। जिसका उद्देश्य रिसर्च कल्चर को बढ़ावा देना और उच्च शिक्षा के लिए अनुसंधान क्षमता का निर्माण होगा|
- नई शिक्षा नीति 29 को सामने आई थी| और इसको बहुत ही जल्द लागु करने की बात कही गई थी| लेकिन कोरोना महामारी के कारण स्कूल खुल नहीं सके| हालाँकि ख़बरों की माने तो साल 2021 में इसको लागू करने की प्रक्रिया की शुरुआत हो सकती है|
नई शिक्षा नीति 2023 कब से लागू होगी?
नई शिक्षा नीति 29 को सामने आई थी| और इसको बहुत ही जल्द लागु करने की बात कही गई थी| लेकिन कोरोना महामारी के कारण स्कूल खुल नहीं सके| हालाँकि ख़बरों की माने तो साल 2021 में इसको लागू करने की प्रक्रिया की शुरुआत हो सकती है|
नई शिक्षा नीति 2023 में 5 3 3 4 क्या है?
इस नए सिस्टम में 3 साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति कब कब लागू हुई?
स्वतंत्र भारत में 2023 से पहले दो शिक्षा नीतियां 1968 और 1986 में लाई गई थीं। 1992 में शिक्षा नीति 1986 में थोड़ा संशोधन भी किया गया था|
नवीन शिक्षा नीति 2025: भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक परिवर्तनकारी कदम
परिचय
भारतीय शिक्षा प्रणाली में समय-समय पर सुधार आवश्यक होते हैं ताकि यह बदलते वैश्विक परिदृश्य और समाज की आवश्यकताओं के साथ तालमेल बना सके। इसी क्रम में, नवीन शिक्षा नीति 2025 (New Education Policy 2025) को प्रस्तुत किया गया है, जिसका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी, लचीला और भविष्य के लिए तैयार बनाना है।
मुख्य विशेषताएँ
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शिक्षा संरचना में बदलाव: पारंपरिक 10+2 प्रणाली को बदलकर 5+3+3+4 संरचना अपनाई गई है। यह नई प्रणाली बच्चों के विकासात्मक चरणों के अनुसार शिक्षा प्रदान करती है:
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बुनियादी चरण (5 वर्ष): प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) पर केंद्रित।
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तैयारी चरण (3 वर्ष): कक्षा 3 से 5 तक, जिसमें गतिविधि-आधारित शिक्षण पर जोर दिया गया है।
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मध्य चरण (3 वर्ष): कक्षा 6 से 8 तक, विषय-आधारित शिक्षण और महत्वपूर्ण सोच को प्रोत्साहित करता है।
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माध्यमिक चरण (4 वर्ष): कक्षा 9 से 12 तक, जिसमें बहु-विषयक अध्ययन और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
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मातृभाषा में शिक्षा: कक्षा 5 तक, और यदि संभव हो तो कक्षा 8 तक, मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा देने की सिफारिश की गई है, जिससे बच्चों की समझ और सीखने की क्षमता में वृद्धि हो।
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व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण: कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जिससे छात्रों को विभिन्न कौशलों का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त हो सके।
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डिजिटल शिक्षा पर जोर: तकनीकी प्रगति को ध्यान में रखते हुए, डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है। DIKSHA जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स का उपयोग करके गुणवत्तापूर्ण डिजिटल सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है।
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मूल्यांकन प्रणाली में सुधार: पारंपरिक रटने पर आधारित परीक्षाओं के स्थान पर, अब छात्रों के समग्र विकास, महत्वपूर्ण सोच और रचनात्मकता को मापने वाले मूल्यांकन पर ध्यान दिया गया है।
उच्च शिक्षा में सुधार
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एकल उच्च शिक्षा नियामक: UGC, AICTE, और NCTE जैसी संस्थाओं को मिलाकर एक एकल नियामक निकाय स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिससे उच्च शिक्षा में समरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।
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बहु-विषयक संस्थानों की स्थापना: 2025 तक, सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को बहु-विषयक बनने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिले।
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ऑनलाइन शिक्षा और ओपन डिग्री प्रोग्राम्स: डिजिटल विश्वविद्यालयों और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से उच्च शिक्षा को अधिक सुलभ और लचीला बनाया जा रहा है।
चुनौतियाँ और क्रियान्वयन की स्थिति
हालांकि नीति की घोषणा के बाद से कई पहलें शुरू की गई हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में धीमी प्रगति देखी गई है:
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5+3+3+4 संरचना का एकीकरण: विभिन्न राज्यों में पाठ्यक्रम को नई संरचना के अनुसार ढालना और शिक्षकों को नए शिक्षण तरीकों के लिए प्रशिक्षित करना चुनौतीपूर्ण रहा है।
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एकल उच्च शिक्षा नियामक की स्थापना: विभिन्न नियामक निकायों के विलय के लिए आवश्यक विधायी ढांचे की प्रतीक्षा की जा रही है।
निष्कर्ष
नवीन शिक्षा नीति 2025 भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है। यह नीति शिक्षा को अधिक समावेशी, लचीला और व्यावहारिक बनाने की दिशा में अग्रसर है। हालांकि, इसके सफल क्रियान्वयन के लिए सरकार, शिक्षकों, छात्रों और समाज के सभी वर्गों का संयुक्त प्रयास आवश्यक है। यदि सही ढंग से लागू किया जाए, तो यह नीति भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।