What Is Gandharva Vivah? हिन्दू धर्म में विवाह के प्रकार – Types Of Marriage In Hinduism In Hindi
हिंदू विवाह दो व्यक्तियों को अनंत काल के लिए मिलाता है, ताकि वे धर्म (सत्य), अर्थ, और काम से जुड़े कार्यो की पूर्तिकर सकें।
मनुस्मृति को हिंदुओं के लिए एक मानक धार्मिक ग्रंथ माना जाता है। इसेमानव धर्म शास्त्र भी कहा जाता है और यह प्राचीन हिंदुओं के लिए घरेलू और धार्मिक जीवन के लिए एक आधिकारिक स्रोत है।
Contents
- 1 Types of Marriage in Hinduism
- 2 1: ब्रह्म विवाह – Brahma marriage
- 3 2: दैव विवाह – Daiva marriage
- 4 3: आर्ष विवाह – Arsha marriage
- 5 4: प्रजापत्य विवाह – Prajapatya Marriage
- 6 5: असुर विवाह – Asura Marriage
- 7 हिंदू धर्म में विवाह के प्रकार
- 8 परिचय:
- 9 हिंदू विवाह के 8 प्रकार
- 10 आधुनिक संदर्भ में विवाह
- 11 निष्कर्ष:
Types of Marriage in Hinduism
1: ब्रह्म विवाह – Brahma marriage
लड़की का पिता अपनी इच्छा से अपनी पुत्री को किसी उपयुक्त व्यक्ति को बिना कुछ प्रतिफल लिए देने प्रस्ताव करता था|
2: दैव विवाह – Daiva marriage
3: आर्ष विवाह – Arsha marriage
विवाह करने वाला पुरुष कन्या के पिता के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए, न की प्रतिफल के रूप में, उसे एक जोड़ी बैल देता था|
4: प्रजापत्य विवाह – Prajapatya Marriage
विवाह का प्रस्ताव विवाहार्थी की ओर से आता था|
5: असुर विवाह – Asura Marriage
6: गन्धर्व विवाह – What is Gandharva Vivah?
माता-पिता की अनुमति के बिना प्रेम विवाह| गन्धर्व विवाह (Gandharva Vivah) केवल क्षत्रियों में होता था|
7: राक्षस विवाह – Rakshas Marriage
8: पैशाच विवाह – Paishach Marriage
हिंदू धर्म में विवाह के प्रकार
परिचय:
हिंदू धर्म में विवाह केवल एक सामाजिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि एक धार्मिक और आध्यात्मिक बंधन भी माना जाता है। प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों, विशेष रूप से मनुस्मृति में विवाह के 8 प्रकार बताए गए हैं। इनमें से कुछ को धार्मिक और स्वीकार्य माना गया है, जबकि कुछ को अनुचित और अनैतिक बताया गया है।
हिंदू विवाह के 8 प्रकार
विवाह का प्रकार | विवरण | स्वीकार्यता |
---|---|---|
ब्राह्म विवाह | योग्य वर को बिना दहेज के कन्या दान | (श्रेष्ठ) |
दैव विवाह | यज्ञ करने वाले पुरोहित को कन्या दान | |
आर्ष विवाह | वर द्वारा गाय-बैल देकर विवाह करना | |
प्राजापत्य विवाह | विवाह में समानता और कर्तव्यों पर बल | |
गांधर्व विवाह | प्रेम विवाह, वर-वधू की सहमति से | |
आसुर विवाह | धन देकर कन्या को खरीदकर विवाह | (अनुचित) |
राक्षस विवाह | युद्ध में जीतकर कन्या का हरण | (अनैतिक) |
पैशाच विवाह | नशे या धोखे से कन्या से विवाह | (निषिद्ध) |
आधुनिक संदर्भ में विवाह
आज के समय में ब्राह्म, गांधर्व और प्राजापत्य विवाह सबसे ज्यादा प्रचलित हैं।
सामाजिक और कानूनी सुधारों के कारण अन्य अनुचित विवाहों को अब अमान्य माना जाता है।
भारत में अब हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत विवाह की वैधानिकता सुनिश्चित की जाती है।
निष्कर्ष:
हिंदू धर्म में विवाह केवल एक सामाजिक परंपरा ही नहीं, बल्कि एक धार्मिक कर्तव्य और जीवन का महत्वपूर्ण संस्कार है। समय के साथ विवाह की परिभाषा और प्रकारों में बदलाव आया है, लेकिन इसकी पवित्रता और नैतिकता अब भी बनी हुई है।