इस आर्टिकल में हम बात करेंगे भील जनजाति और उसके इतिहास के बारे में| अभी हाल के समय में भील प्रदेश का मुद्दा गरमाया हुआ है| इसलिए भील जनजाति के बारे में एग्जाम में सवाल आने की सम्भावना है|
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भील जनजाति और उनका का इतिहास
भील जनजाति पश्चिमी और मध्य भारत के एक विस्तृत भाग मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में पाई जाती है| भील भारत के सबसे बड़े आदिवासी समूहों में से एक हैं|
भील यह नाम द्रविड़ियन शब्द ‘बिलु’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है धनुष। इससे पता चलता है कि इस समूह के बीच तीर और धनुष काफी प्रचलित है|
भीलों को कई उपजातियों में विभाजित किया जाता है, जिसमें बरेला, भिलाला, गरासिया, गमेता, मीना, तडवी और वासेव शामिल हैं। हालाँकि, इनमें से कई समूह खुद को भील समुदाय से काफी अलग मानते हैं।
भील लोग अच्छी धनुष विद्या और लोकल भूगोल के अच्छे ज्ञान के लिये जाने जाते है|
भारतीय संविधान ने 1949 में भीलों को अनुसूचित जनजाति के रूप में नामित किया|
The language of the Bhils (भीलों की भाषा)
भीलों की भाषा को भीली कहा जाता है, यह शब्द पूरे भारत में भीलों द्वारा बोली जाने वाली कई बोलियों में से एक है।
उदाहरण के लिए, वागड़ी, डुंगरी और मावची राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में बोली जाने वाली भीली भाषा है|
Occupations Of Bhils (भीलों का व्यवसाय)
ज्यादातर भील व्यवसाय से किसान हैं। हालांकि कृषि के दबाव, मौसम की मार, ऋण के बोझ और लगातार सूखे ने कई भीलों को कृषि कार्य छोड़ने और अन्य व्यवसायों की ओर रुख करने के लिए मजबूर किया है।
ज्यादातर भील मजदूरी को नया व्यवसाय बना रहे है|