Meaning of Gayatri mantra with lyrics in hindi – गायत्री मंत्र का अर्थ

Gayatri mantra meaning in hindi : दोस्तों आज  हम बताने जा रहे है  गायत्री मंत्र का अर्थ (gayatri mantra ka arth)  | यह मंत्र को हमारे वेदो में बहोत ही महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता  है । यह मंत्र को सुनते ही या फिर गुनगुना ने से हमें एक शांति का एहसास होता है |
यह यजुर्वेद के मन्त्र ‘ॐ भूर्भुवः स्वः’ और ऋग्वेद के छन्द से बना हुआ मंत्र है । यह मंत्र को गायत्री देवी का रूप भी कहा जाता है इसलिए सब इससे गायत्री मंत्र भी कहते है | इस मंत्र का उच्चारण या फिर पाठ करने से एक शांति का एहसास होता है |
ऋग्वेद में  यह मंत्र का उद्धृत हुआ है । इस मंत्र के देवता सविता है और ऋषि विश्वामित्र है इसकी महिमा हमारे वेदो में बहोत है ।
विराट् विश्व और मानव जीवन,  देवतत्व और भूततत्त्व, मन और प्राण, ज्ञान और कर्म  इस सबके  पारस्परिक संबंधों की एक व्याख्या इस मंत्र से मिल जाती है |
Gayatri mantra in hindi
शांत और एकाग्रह मन सुधि के लिए यह मंत्र विद्यार्थी को अधिक लाभ दायी है |
इस मंत्र से बहोत कुछ सिखने को मिलता है जैसे की हमें दुसरो के साथ ऐसा व्यवहार कभी नहीं करना चाहिए जैसा की हम उनसे अपने प्रति कभी नहीं चाहते।  इस मंत्र से सत्मार्ग , अच्छे कर्म करने की एक प्रेरणा मिलती है |

Contents

गायत्री मंत्र – Gayatri Mantra Lyrics

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् ,
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ||

Gayatri mantra meaning

सबके दुःख दूर करने वाले , शांति का एहसास देने वाले , सबके प्राणो के आधार , सुख देने वाले , धर्म का  मार्ग दिखाने वाले आप ही हमारे परमात्मा हो आप ही हमारे ईश्वर हो।
अभद्र , अनीति और अपवित्र बातो से दूर रह के आपका ही ध्यान धरते जीवन के शांतिपूर्ण मार्ग पे चलना चाहता हु।
हे ईश्वर मुझे सतमार्ग , सच्चाई के मार्ग पे चलने की सद्बुद्धि दे अनीति से हमेशा दूर रहु लोगो के प्रति मेरा व्यवहार और कर्म अच्छा बना रहे यही तुजसे प्रार्थना करता हु |

Gayatri mantra words

 = प्रणव
भू = पृथ्वी
र्भुवः = पृथ्वी के उपर का संसार (पेड़, समुद्र, नदी और सभी प्राणी)
स्वः = पूरा ब्रह्मांड ( तारे, सूर्य, नक्षत्र) , सुख प्रदान करने वाला
तत = वह
सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यम् = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु/ ईश्वर
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)

Words meaning of Gayatri mantra in english 

 = An existence which is all presence, Which is omniscient
भू = Earth
र्भुवः = Tree, sea, river and all beings
स्वः = Stars, sun, constellations, The entire universe
तत =  The whole universe is God
सवितुर = Bright like the sun
वरेण्यम् = I want to imbibe the God who is worth doing
भर्गो = Savior
देवस्य = god
धीमहि = May meditate
धियो = Intellect and Mind
यो = He who
नः = Our
प्रचोदयात् = Give us strength

Meaning of gayatri mantra in english

Om Bhur Bhuvaḥ Swaḥ

Tat-savitur Varenyaṃ

Bhargo Devasya Dheemahi

Dhiyo Yonah Prachodayat

Word Meaning:

  • Om : The primeval sound
  • Bhur : the physical body/physical realm
  • Bhuvah : the life force/the mental realm
  • Suvah : the soul/spiritual realm
  • Tat : That (God)
  • Savitur : the Sun, Creator- source of all life
  • Varenyam : adore
  • Bhargo : effulgence – divine light
  • Devasya : supreme Lord
  • Dhimahi : meditate
  • Dhiyo : the intellect
  • Yo : May this light
  • Nah : our
  • Prachodayat : illumine/inspire.
I believe in the divine, physical, subtle and reason illuminating those three worlds, offering my prayers to the God who shines like the sun, enlightens our intellect and keeps our mind calm.

What is Gayatri mantra ?

Sathya Sai Speaks : The Gayatri is a universal prayer enshrined in the Vedas. It is addressed to the Immanent and Transcendent Divine which has been given the name ‘Savita,’ meaning ‘that from which all this is born.’ The Gayatri may be considered as having three parts – (i) Adoration (ii) Meditation (iii) Prayer. First, the Divine is praised, then It is meditated upon in reverence and finally, an appeal is made to the Divine to awaken and strengthen the intellect, the discriminating faculty of man.
The Gayatri is considered as the essence of the Vedas. Veda means knowledge, and this prayer fosters and sharpens the knowledge-yielding faculty. As a matter of fact, the four core-declarations enshrined in the four Vedas are implied in this Gayatri mantra.

गायत्री मंत्र का भाव 

सुख का स्वरुप और हमारे दुःख का नाश करने वाले हमारे प्राणों के आधार ईश्वर आप है |  हमें ज़िंदगी के सत्मार्गो पर चलने के लिए अच्छे विचारो की प्रेरणा दे | ईश्वर एक और सत्य है नाम है ईश्वर तू ही हम सबका गुरु है | जब संकट आये मुज पे तो तू ही मेरा तारणहार है |
ये मंत्र हमें दूसरो के प्रति बिना कोई स्वार्थ के अच्छे कर्मों करने के लिए भाव प्रदान करता है | है ईश्वर , भले ही हम कभी कुछ बुरा , अपवित्र  देखे या सुने किन्तु किसी के भी प्रति अभद्र बातो का भाव या अनुभव  उत्तपन ना हो |

10 Gayatri Mantra Benefits  

  • इस मंत्र से हमारे पर आये हुए कोई भी संकटो को नाश होता है |
  • हमारे काम में आने वाले विघ्नो से मुक्ति मिलती है |
  • इस मंत्र का उच्चारण करने से हमारे तन मन को शांति मिलती है |
  • किसी भी पराक्रमी शक्ति आतंक आक्रमण से से रक्षा प्रदान होती है |
  • हमरे मन में अच्छे विचार आते है और बुद्धि की  वृद्धि भी होती है ऐसा कहा गया है |
  • दुसरो के प्रति बिना कोई स्वार्थ अच्छे कर्मो को करने के लिए एक भाव उत्पन होता है |
  • गायत्री मंत्र के उच्चारण से कलयाण ,योग एवं प्रेम की शक्ति मिलती है |
  • विध्यार्थो के लिए यह मंत्र बहोत लाभदायी है अगर वे यह मंत्र का जाप करते है तो उनके मन से सारे बुरे विचारो का नाश होता है और बुद्धि का विकास होता है तथा पढाई करने में मन एकाग्रह होता है जिससे वे अच्छी तरह से मन लगा के पढ़ते है |
  • क्रोधित मन , गुस्से वाला स्वाभाव इन सबका नाश होता है अगर आप इस मंत्र का जाप करते हो |
  • गायत्री मंत्र को ‘तारक मंत्र ‘ से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है तारणहार हमें किसी  संकट में हमे तारने वाले हमारे तारणहार |

 

24 Words in Gayatri Mantra

 

गायत्री मंत्र २४ शब्दों से बना हुआ मंत्र है | ये सारे २४ शब्द काफी शक्तिसाली , महत्वपूर्ण माने जाते  है | चौबीस शक्तिआं, चौबीस अवतार , चौबीस ऋषि जैसी  शक्तियाँ इन् शब्दो में पायी जाती है | इन् चौबीस शब्दो के देवता भी चौबीस है जिनकी चौबीस शक्तिया का उल्लेख किया गया है | तो इस मंत्र का जाप करने से इन सारी शक्तियों का लाभ मिलता है |
तो हम आज उन २४ शब्दों को विस्तार से समझते है |
1. तत् :
  • इनके देवता श्री गणेश को माना गया है , इसमें सफलता की शक्ति पाई जाती है | इस शब्द से विघ्नो का नाश , बुद्धि की विकास जैसे लाभ होते है |

2. स:

  • इनके देवता श्री नरसिंह को माना गया है , इस में पराक्रम की शक्ति पाई जाती है | इस शब्द से हमारे शत्रु का नाश एवम वीरता बल जैसे लाभ होते है |
3. वि:
  • इनके देवता श्रीविष्णु को माना गया है , इस में पालन शक्ति पाई जाती है | इस शब्द में किसी भी तरह के पालन जैसे प्राणियों के पालन , रक्षा , जैसे लाभ होते है |
4. तु:
  • इनके देवता शिव  को माना गया है , इस मेंकल्याण  की  शक्ति पाई जाती है | कल्याण की वृद्धि इस शब्द से हो सकती है |
5. व्:
  • इनके देवता श्री कृष्ण को माना गया है , इस में योग शक्ति की बात की गयी है | क्रियाशीलता , कर्मयोग ,आत्मनिष्ठा जैसे फल का उल्लेख इस शब्द में किया हुआ है |
6. रे
  • इनके देवता राधा को माना गया है , इस में योग प्रेम शक्ति की बात की गयी है |
7. णी
  • इनके देवता श्री लक्ष्मी को माना गया है , इस में धन शक्ति की बात की गयी है | धन , यश के प्राप्ति का उल्लेख इस शब्द में किया हुआ है|
8. यं
  • इनके देवता अग्नि  को माना गया है , इस में तेज शक्ति की बात की गयी है | तेजस्वी , प्रतिभाशाली तथा प्रकाश के फल के प्राप्ति की बात की हुई है |
9. भ :
  • इनके देवता इन्द्र को माना गया है , इस में तेज शक्ति की बात की गयी है | भुत, रोगों और शत्रु  के आक्रमणों से रक्षा हो सकती है |
10. र्गो :
  • इनके देवी सरस्वती को माना गया है , इस में बुद्धि की शक्ति की बात की गयी है | चतुराई , पवित्र विचार जैसे फल की बात की हुई है |
11. दे :
  • इनके देवता दुर्गा को माना गया है , इस में दमन की शक्ति की बात की गयी है | इसमें हमारे उपर आये विग्नो से विजय के फल की बात की गयी है |
12. व :
  • हनुमान को इसके देवता माना गया है जिसमे निष्ठा शक्ति की बात की हुई है | निष्ठावान, विश्वासी, निर्भयता जैसे फल की बात की हुई है|
13. स्य :
  • पृथ्वी को इसके देवता माना गया है |  इस मेंधारण शक्ति की बात की गयी है |
14. धी
  • सूर्य  को इसके देवता माना गया है |  इस में प्राण  शक्ति की बात की गयी है |
15. म :
  • श्री राम को उसके देवता माना गया है | जिसमें मर्यादा शक्ति की  बात की हुई है | मर्यादापालन, मैत्री, सौम्यता, संयम जैसे गुणों की बात इस शब्द में की हुई है |
16. हि :
  • देवी श्री सीता को इनके देवता माना गया है | जिसमे तप शक्ति की बात की हुई है | पवित्रता, शील, मधुरता, नम्रता, जैसे फल की प्राप्ति का उल्लेख किया हुआ है ।
17. धि :
  • चन्द्र को इसके देवता माना गया है | जिसमें शांति शक्ति का उल्लेख है | क्रोध, लोभ, मोह का निवारण की बात की गयी है |

18. यो :

  • यम को इस शब्द के देवता माना गया है | इसमें काल शक्ति का उल्लेख किया हुआ है |  इस शब्द में स्फूर्ति , जागरूकता , निर्भय  शक्ति का उल्लेख है |

19. यो :

  • इनके देवता यम है | जिसमें काल शक्ति का उल्लेख है | संतानवृद्धि, उत्पादन शक्ति की वृद्धि जैसे फल की बात की हुई है ।
20. न:
  • वरुण को इनके देवता माना गया है | रस शक्ति का उल्लेख इसमें किया हुआ है |
21. प्र :
  • इनके देवता नारायण को माना गया है | आदर्श शक्ति का उल्लेख किया हुआ है | इसमें दिव्य गुण-स्वभाव, उज्जवल चरित्र जैसे गुण है|

22. चो :

  • हयग्रीव को इसके देवता माना गया है जिससे साहस शक्ति का उल्लेख किया हुआ है | पुरुषार्थ, वीरता, निर्भयता के फल की प्राप्ति है|

23. द :

  • विवेक शक्ति और हंस देवता का उल्लेख इस शब्द में में है | आत्म-संतोष, उत्तम आहार-विहार जैसे गुणों का उल्लेख शब्द में किया हुआ है |

24. यात् :

  • इनके देवता तुलसी को माना गया है , इस में सेवा शक्ति की बात की गयी है | सत्यनिष्ठा,आत्म-शान्ति के फल की प्राप्ति की बात की गई है |

Video of Gayatri Mantra in Hindi

यदि आप Gayatri mantra meaning in hindi वीडियो देखना चाहते हैं तो यहां भी इसके लिए एक समाधान है। आप Gayatri mantra lyrics, Benefits of gayatri mantra के बारे में जानने के लिए नीचे दिया गया वीडियो देख सकते हैं |

Conclusion

हमारी ये  gayatri mantra meaning in hindi, gayatri mantra ka arth, Gayatri Mantra words, Gayatri Mantra English, Gayatri mantra benefits  की  जानकारी दोस्तों आपको कैसी लगी, अगर आपको पसंद आयी हो तो  दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करना ना भूलें और अगर आपका कोई सवाल है  तो हमें कमेंट करके बता सकते हे |

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