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What is Line of Actual Control: LAC kya hai?
कई बार यह देखा गया है कि छात्रों को मैकमोहन लाइन, Line of Actual और अंतर्राष्ट्रीय सीमा में फर्क नहीं पता होता है| केवल छात्रों को ही नहीं बल्कि सामान्य लोगो को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए|
भारत-चीन की अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लम्बाई 4057 किलोमीटर है| जिसके एक बड़े हिस्से (अक्साई चिन) में चीन ने 1962 युद्ध के बाद कब्ज़ा कर लिया था| इस कब्जे के बाद वर्तमान में भारत-चीन के बीच जो प्रभावी सीमा है उसको वास्तविक नियंत्रण रेखा या LAC कहा जाता है|
LAC 3488 किलोमीटर लंबा है| LAC में तीन क्षेत्र आते है- पश्चिमी (लद्दाख, कश्मीर), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश)।
What is McMahon Line – मैकमोहन रेखा क्या है?
Do you know Who was McMahon?
मैकमोहन ने पूर्वी क्षेत्र में तिब्बत को भारत से अलग करने के लिए शिमला समझौते में लाइन का प्रस्ताव रखा। चीन ने शिमला समझौते को खारिज कर दिया क्योंकि उसने तिब्बत को एक संप्रभु सरकार नहीं माना जो संधियों पर हस्ताक्षर कर सके।
भारत का तर्क है कि जिस समय मैकमोहन रेखा खींची गई थी उस समय तिब्बत पर चीन का अधिकार नहीं था। इसके अलावा, ऐतिहासिक रूप से चीन का अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र में कोई दावा नहीं है।
Where is McMahon Line? मैकमोहन लाइन कहाँ है?
हिमालय की चोटियों के साथ भूटान की पूर्वी सीमा से मैकमोहन रेखा, चीन के तिब्बती क्षेत्र और भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के बीच वर्तमान में प्रभावी सीमा है| हालांकि इसकी कानूनी स्थिति चीन सरकार द्वारा विवादित है।
मैकमोहन रेखा पश्चिम में भूटान से 890 किमी और पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी के महान मोड़ से 260 किमी तक फैली हुई है|
Shimla Convention 1914
ग्रेट ब्रिटेन, चीन और तिब्बत के बीच शिमला सम्मेलन, 1913 और 1914 में शिमला में प्रतिनिधियों द्वारा तिब्बत की स्थिति के बारे में एक संधि की गई थी| समझौते में कहा गया है कि तिब्बत को “बाहरी तिब्बत” और “आंतरिक तिब्बत” में विभाजित किया जाएगा|
आउटर तिब्बत, ल्हासा में तिब्बती सरकार के हाथों में रहकर चीन के आधिपत्य में रहेगा, लेकिन चीन उसके प्रशासन में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
इनर तिब्बत चीनी सरकार के अधिकार क्षेत्र में होगा। इस समझौते में तिब्बत और China proper के बीच की सीमा और तिब्बत और ब्रिटिश भारत के बीच की सीमा को परिभाषित किया गया है।
भारत चीन सीमा विवाद क्या है: India-China border dispute
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव की कई वजह है| कुछ विवाद पुराने है तो कुछ चीन द्वारा 1950 के दशक में शुरू कर दिए गए थे| जब चीन ने अवैध तरीके से तिब्बत पर कब्ज़ा कर लिया था तब दलाई लामा (तिब्बत के राजनीतिक और धार्मिक नेता) अपने हज़ारों समर्थकों के साथ अरुणाचल प्रदेश के रास्ते भारत आ गए थे| और भारत ने उन्हें अपने यहाँ शरण दे दी थी|
दलाई लामा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार (goverment in exile) भी चलाते है| चीन दालाई लामा को एक अलगाववादी नेता मानता है| इसलिए भी भारत से द्धेष रखता है| चीन ने अपने किसी पड़ोसी देश के साथ सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध नहीं बनाए| चीन और हांगकांग के विवाद पर आप हमारा आर्टिकल पढ़ सकते हैं|
पिछले तीन दशकों में चीन ने Line of Actual के पास बहुत सा military infrastructure तैयार कर लिया है| इसमें सड़कें, bridges, रेलवे लाइन, Air Strips शामिल हैं| आज़ादी के 60 सालों तक चीन को लेकर भारत की केवल ये पॉलिसी रही है की Line of Actual के पास कोई सड़कें, bridges नहीं होंगे तो चीनी सेना अगर अंदर आएगी भी तो बिना सड़क और bridge के ज्यादा अंदर नहीं आ पायेगी|
बीजिंग के रक्षा निर्माण और सैनिकों की तैनाती के जवाब में पिछले 10 सालों में नई दिल्ली ने ये पॉलिसी छोड़ कर LAC के साथ military infrastructure का निर्माण शुरू कर दिया जिसके बाद से पिछले कुछ वर्षों में यह तनाव तेज हो गया है।
चीन और भारत में LAC पर तनाव पश्चिमी क्षेत्र में अधिक है। चीन ने जम्मू और कश्मीर में 38,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है। चीन 1963 के चीन-पाक समझौते के तहत पीओके में 5,180 किमी भारतीय क्षेत्र (शक्सगाम वैली) पर भी कब्जा कर चुका है|
भारत चीन सीमा विवाद के केंद्र में अरुणाचल (90,000 वर्ग किमी) का मुद्दा है, जिसे चीन ‘दक्षिणी तिब्बत’ बताता है। बीजिंग की मांग है कि कम से कम अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र को चीन को हस्तांतरित कर दिया जाए।