भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है| इस संविधान के कई खंड मूल रूप से ब्रिटिश भारत के समय अस्तित्व में आये थे| भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (Indian Evidence Act, 1872) मूल रूप से सन 1872 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया था।
समय-समय पर इसमें कुछ संशोधन अवश्य हुए लेकिन संविधान का मूल स्वरूप अपरिवर्तित रहा है|
साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत उन नियमों का प्रतिपादन किया गया, जिनके द्वारा न्यायालय के समक्ष तथ्य साबित और खारिज किए जाते हैं। किसी तथ्य को साबित करने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी यह साक्ष्य विधि द्वारा तय किया जाता है।
भारत की न्याय प्रक्रिया Indian Evidence Act, 1872 की बुनियाद पर टिकी हुई है|
Evidence Act क्रिमिनल तथा सिविल दोनों प्रकार के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस साक्ष्य अधिनियम के माध्यम से ही यह तय किया जाता है कि कोई सबूत किसी तथ्य को साबित करने के लिए पर्याप्त है या नहीं|
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Indian evidence act in Hindi pdf download
Indian Evidence Act, 1872 में ग्यारह अध्याय और 167 खंड या धाराएं हैं| यह अधिनियम 1 सितंबर 1872 से लागू हुआ।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम भाग 1
भाग 1 तथ्यों की प्रासंगिकता से संबंधित है। इस भाग के अंतर्गत दो अध्याय हैं: पहला अध्याय एक प्रारंभिक अध्याय है जो साक्ष्य अधिनियम का परिचय देता है और दूसरा अध्याय विशेष रूप से तथ्यों की प्रासंगिकता से संबंधित है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम भाग 2
भाग 2 में 3 से लेकर 6 तक के अध्याय हैं। अध्याय 3 में ऐसे तथ्यों के बारे में बताया गया है, जिन्हें प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं है|
अध्याय 4 मौखिक साक्ष्य से संबंधित है, अध्याय 5 में दस्तावेजी साक्ष्य के बारे में बात की गई है, और अध्याय 6 ऐसी परिस्थितियों से संबंधित हैं जब दस्तावेजी साक्ष्य को मौखिक पर वरीयता दी गई है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम भाग 3
अंतिम भाग, जो कि भाग 3 है, में अध्याय 7 से अध्याय 11 शामिल हैं। अध्याय 7 में सबूत के बोझ के बारे में बात की गई है।
अध्याय 8 Estoppel* के बारे में बात करता है, अध्याय 9 गवाहों के बारे में बात करता है, अध्याय 10 गवाहों की परीक्षा के बारे में बात करता है|
अंतिम अध्याय अध्याय 11 जिसमें अनुचित प्रवेश और सबूतों को अस्वीकार करने के बारे में बात की गई है।
Estoppel meaning in Hindi
साक्ष्यों का एक ऐसा नियम जिसके तहत किसी व्यक्ति को पूर्व में दिए बयान से मुकरने से रोका जाता है|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
साक्ष्य क्या है? जानिए साक्ष्य की परिभाषा
- इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 3 में साक्ष्य या एविडेंस के बारे में बात की गई है| इसके अनुसार ऐसी चीज या बात जिससे किसी विवादित तथ्य को न्यायालय के सामने स्पष्ट किया जाता है, उसे साक्ष्य या एविडेंस कहते हैं|
Indian evidence act notes in Hindi
- जो तथ्य सुसंगत होते हैं उनकी सूची धारा 6 से लेकर 55 तक दी गई है| अब आपका प्रश्न होगा की सुसंगत तथ्य क्या होतें है? तो अब इसी के बारे में बात करते हैं|
- जो तथ्य स्वयं या किसी अन्य तथ्य के साथ मिल कर किसी विवादित तथ्य के अस्तित्व को संभावित या असंभावित साबित करता है उसे सुसंगत तथ्य कहते है|
- धारा 56 यह कहती है कि जिन तथ्यों की न्यायालय को स्वयं जानकारी हो उन्हें साबित करना आवश्यक नहीं होता है|
- धारा 58 के अनुसार उन तथ्यों को भी साबित नहीं करना पड़ता जिनको पक्षकारों ने स्वीकार कर लिया हो| अर्थात स्वीकृत तथ्यों को साबित करना आवश्यक नहीं है|
- धारा 60: मौखिक साक्ष्य प्रत्येक अवस्था में प्रत्यक्ष ही होता है|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम कब से लागु हुआ था?
2 सितम्बर 1872
The law of evidence किसकी पुस्तक है?
नटिन
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम को माना है-
यह पूर्ण संहिता है|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होता है-
सभी प्रकार की न्यायिक कार्यवाहियों में|
साक्ष्य शब्द से तात्पर्य है-
न्यायालय में निरीक्षण हेतु पेश किये गए दस्तावेज या सामग्री|
तथ्य से क्या आशय है?
ऐसी वस्तु जो अस्तित्व में है|
शिनाख्त-परेड किसके द्वारा ली जानी चाहिए|
जिलाधिकारी
सबूत का भार किसके ऊपर होता है?
जो सकारात्मक पहलू लेता है|
सबूत के भार का साधारण सिद्धांत है-
सुविधा का नियम
सबूत के भार का साधारण सिद्धांत कहा से लिया गया है?
रोमन स